शबे बरात मनाईए और शबे बरात का अच्छा स्वागत कीजिए
_इबादत, दुआएं और तेलावत अपने घरों में कीजिए_
_[9 अप्रैल जुमेरात का दिन गुजार कर आने वाली रात, शबे बरात है]_
*शबे बरात से पहले करने वाले काम:*
1-हम लोग खुदा के ना फरमान और गुनाहगार बन्दे हैं तो आईए आज ही अल्लाह पाक की बारगाह में सच्चे दिल से गुनाहों से तौबा करें"अस्तगफेरुल्लाह रब्बी" और "ला हौल व ला कुव्वत इल्ला बिल्लाह"ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ें।
2-मां बाप को खुश करें।
और जिन्हें अपनी ज़बान से या अपने हाथ से या किसी साजिश से किसी तरह की कोई तकलीफ़ पहुंचाई हो उनसे माफी मांगें।
और सीने को नफरत, हसद और किना से पाक रखें।
3-सदका व खैरात ज़्यादा करें, यतिमों,बेवाओं, बे सहारों और मोहताज पड़ोसियों को खास तौर से नकद राशि भी दें ताकि वो अपनी ज़रूरत के सामान इकट्ठा कर सकें।
4- 10 अप्रैल यानी 15 शाबान को रोज़ा रखें, अगर रमज़ान के रोज़े कज़ा हों तो कजा की निय्यत से रोज़ा रखें। यह ज़्यादा अच्छा है कि फ़र्ज़ भी अदा हो जाएगा और नफिल से ज़्यादा सवाब भी मिलेगा।
5-शबे बरात के दिन कुरआन पाक की तेलावत ज़्यादा करें और तेलावत के समय अच्छी अच्छी निय्यतें कर लें क्योंकि अमल में जितनी अच्छी निय्यत होती हैं उतना ही ज़्यादा सवाब भी होता है।
6-जिन इलाकों में लोग अरफा मनाते हैं वो अपने मामूल के मुताबिक़ सब कुछ अपने अपने घरों में करें।
*शबे बरात में करने वाले काम*
1-कुरआन पाक की तेलावत करें।
2-कम से कम 300 बार दुरूद शरीफ़ पढ़ें और अगर इससे अधिक हो गया तो और अच्छा है।
3-घर के अंदर रात की तनहाईयों में अपनी छूटी हुई नमाजों की कज़ा करें, जिसे आम बोलचाल में *"कज़ाए उम्री"* कहते हैं। हर रोज़ की क़जा नमाज़ 20 रकात होती हैं।
2 रकात फज्र, 4 रकात ज़ोहर, 4 रकात असर, 3 रकात मगरिब, 4 रकात ईशा और 3 रकात वित्र।
आसानी के लिए छोटी सूरतें पढ़ें और वित्र में दुवाए कुनूत की जगह 3 बार *"अल्लाहुम्मगफिर्ली"* पढ़ें।
4-अच्छी अच्छी दुवाएं करें, खास तौर से सज्दे में सर रख कर 7 बार तस्बीह के बाद ये दुआ पढ़ें *_"अल्लाहुम्मा अस्लिह उम्मता मुहम्मदिन, अल्लाहुम्मरहम उम्मता मुहम्मदिन, अल्लाहुम्मा फर्रिज अन उम्मते मुहम्मदिन"_* अगर ये याद न हो तो _*"या रहमानो या रहीमो"*_ ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ें।
*कज़ा नमाजें पढ़ने से क्या फायदा होगा*
⏺️रात भर जगने का सवाब मिलेगा। ⏺️ये सवाब नफ़िल नमाजों से बहुत ज़्यादा हैं क्योंकि फ़र्ज़ का सवाब नफ़िल से बहुत ज़्यादा है। ⏺️ अल्लाह का फ़रीजा अदा हो जाएगा वरना क्यामत के दिन जवाब देना पड़ेगा, और इस पर सज़ा भी हो सकती है, तो जिन के ज़िम्मा कजा नमाजें बाकी हैं वो शबे बरात में नफिल की जगह अपनी कज़ा नमाजें पढ़ें।
तालिबे दुआ
मुहम्मद आरिफ रजा बरकाती मिस्बाही
7753964190
0 تبصرے
اپنا کمینٹ یہاں لکھیں