*हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम*
जब आप पैदा हुए तो आपके वालिद हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की उम्र 40 बरस थी,आपकी वालिदा का नाम राहील है
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 358
हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बीच 1005 साल का फासला है
📕 तफसीरे सावी,जिल्द 2,सफह 27
हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि करीम बिन करीम बिन करीम बिन करीम यूसुफ बिन याक़ूब बिन इस्हाक़ बिन इब्राहीम अलैहिस्सलातो वत्तस्लीम हैं,हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम ने ख्वाब देखा कि 11 सितारे और चांद सूरज उनको सज्दा कर रहे हैं 11 सितारों से मुराद आपके 11 भाई और चांद सूरज से मुराद आपके वालिदैन हैं,यहां सज्दे से मुराद सज्दये ताज़ीमी है जो कि पहले की उम्मतों में जायज़ था मगर हमारी शरीयत में हराम है,जिन 11 सितारों को आपने ख्वाब में देखा उनके नाम ये हैं जिरबान,तारिक,ज़ियाल,कालबिस,उमूदान,फीलक़,फज़अ,विसाब,ज़ुलकफतैन,ज़रूज,मिस्बाह जब आपने ये ख्वाब अपने वालिद को बताया तो उन्होने मना किया के ख्वाब हरगिज़ अपने भाईयों को ना बतायें कि वो हसद की आग में और जल जायेंगे,ये ख्वाब आपने 12 साल की उम्र में देखा
📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 122
ये ख्वाब आपने शबे क़द्र में देखा जो कि शबे जुमा भी थी
📕 खज़ाएनुल इरफान,पारा 12,रुकू 11
इस ख्वाब की ताबीर 80 साल के बाद पूरी हुई (तफसील बाद में आयेगी)
📕 जलालैन,हाशिया 13,सफह 198
*ख्वाब में सूरज का देखना कभी बादशाहत दौलत या खूबसूरत औरत की ताबीर होती है तो कभी फसाद की भी ताबीर ली जाती है ये सब ख्वाब देखने वाले के हालात वक़्त ज़माने के हिसाब से तय होते हैं,बहरहाल ये एक मुश्किल काम है कि किसी के ख्वाब की सटीक ताबीर बताई जाए बस इतना याद रखें कि जब भी कोई ऐसा ख्वाब देखें जो दिल को भला मालूम हो या सराहतन भी अच्छा ही हो तो ये खुदा की तरफ से इलक़ा होता है तो उसकी हम्दो सना करे अगर किसी से बयान करना चाहे तो कर सकता है,और जब कोई ऐसा ख्वाब देखें जिससे दिल में डर पैदा हो या ग़मगीन हो जायें तो ये शैतान की तरफ से है जब आंख खुले तो बाईं तरफ 3 मर्तबा थूकें और आऊज़ो बिल्लाहे मिनश शैतानिर रजीम व शर्रिर रोया पढ़ें और किसी से बयान ना करें हरगिज़ उसे कोई भी नुक्सान ना पहुंचेगा,सुबह उठकर सदक़ा करें कि सदक़ा हर मुश्किल को आसान करता है*
मुहब्बत खुदा की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से,और मुहब्बत दिल का काम है जिस पर इंसान क़ादिर नहीं इसी लिए हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम अपनी तमाम बीवियों में अदलो इन्साफ करने के बावजूद यूं दुआ फरमाते थे कि "ऐ मौला मैं जिसका मालिक हूं उस पर तो मैंने अमल कर दिया मगर जो चीज़ मेरे क़ुदरत से बाहर है उसके लिए मुझसे मुअख्ज़ा ना फरमा" यानि दिली मुहब्बत किसी से कम किसी से ज़्यादा हो सकती है इसमें इंसान का कोई कुसूर नहीं,लिहाज़ा एक ऐतराज़ जो कि हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम पर किया जाता है कि माज़ अल्लाह आप अपने तमाम बेटों से एक बराबर मुहब्बत नहीं करते थे उसका रद्द हो गया कि वो उनके इख्तियार में नहीं बल्कि खुदा के इख्तियार में था
📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 123
जारी रहेगा...........
जब आप पैदा हुए तो आपके वालिद हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की उम्र 40 बरस थी,आपकी वालिदा का नाम राहील है
📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 358
हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम और हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बीच 1005 साल का फासला है
📕 तफसीरे सावी,जिल्द 2,सफह 27
हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि करीम बिन करीम बिन करीम बिन करीम यूसुफ बिन याक़ूब बिन इस्हाक़ बिन इब्राहीम अलैहिस्सलातो वत्तस्लीम हैं,हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम ने ख्वाब देखा कि 11 सितारे और चांद सूरज उनको सज्दा कर रहे हैं 11 सितारों से मुराद आपके 11 भाई और चांद सूरज से मुराद आपके वालिदैन हैं,यहां सज्दे से मुराद सज्दये ताज़ीमी है जो कि पहले की उम्मतों में जायज़ था मगर हमारी शरीयत में हराम है,जिन 11 सितारों को आपने ख्वाब में देखा उनके नाम ये हैं जिरबान,तारिक,ज़ियाल,कालबिस,उमूदान,फीलक़,फज़अ,विसाब,ज़ुलकफतैन,ज़रूज,मिस्बाह जब आपने ये ख्वाब अपने वालिद को बताया तो उन्होने मना किया के ख्वाब हरगिज़ अपने भाईयों को ना बतायें कि वो हसद की आग में और जल जायेंगे,ये ख्वाब आपने 12 साल की उम्र में देखा
📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 122
ये ख्वाब आपने शबे क़द्र में देखा जो कि शबे जुमा भी थी
📕 खज़ाएनुल इरफान,पारा 12,रुकू 11
इस ख्वाब की ताबीर 80 साल के बाद पूरी हुई (तफसील बाद में आयेगी)
📕 जलालैन,हाशिया 13,सफह 198
*ख्वाब में सूरज का देखना कभी बादशाहत दौलत या खूबसूरत औरत की ताबीर होती है तो कभी फसाद की भी ताबीर ली जाती है ये सब ख्वाब देखने वाले के हालात वक़्त ज़माने के हिसाब से तय होते हैं,बहरहाल ये एक मुश्किल काम है कि किसी के ख्वाब की सटीक ताबीर बताई जाए बस इतना याद रखें कि जब भी कोई ऐसा ख्वाब देखें जो दिल को भला मालूम हो या सराहतन भी अच्छा ही हो तो ये खुदा की तरफ से इलक़ा होता है तो उसकी हम्दो सना करे अगर किसी से बयान करना चाहे तो कर सकता है,और जब कोई ऐसा ख्वाब देखें जिससे दिल में डर पैदा हो या ग़मगीन हो जायें तो ये शैतान की तरफ से है जब आंख खुले तो बाईं तरफ 3 मर्तबा थूकें और आऊज़ो बिल्लाहे मिनश शैतानिर रजीम व शर्रिर रोया पढ़ें और किसी से बयान ना करें हरगिज़ उसे कोई भी नुक्सान ना पहुंचेगा,सुबह उठकर सदक़ा करें कि सदक़ा हर मुश्किल को आसान करता है*
मुहब्बत खुदा की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से,और मुहब्बत दिल का काम है जिस पर इंसान क़ादिर नहीं इसी लिए हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम अपनी तमाम बीवियों में अदलो इन्साफ करने के बावजूद यूं दुआ फरमाते थे कि "ऐ मौला मैं जिसका मालिक हूं उस पर तो मैंने अमल कर दिया मगर जो चीज़ मेरे क़ुदरत से बाहर है उसके लिए मुझसे मुअख्ज़ा ना फरमा" यानि दिली मुहब्बत किसी से कम किसी से ज़्यादा हो सकती है इसमें इंसान का कोई कुसूर नहीं,लिहाज़ा एक ऐतराज़ जो कि हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम पर किया जाता है कि माज़ अल्लाह आप अपने तमाम बेटों से एक बराबर मुहब्बत नहीं करते थे उसका रद्द हो गया कि वो उनके इख्तियार में नहीं बल्कि खुदा के इख्तियार में था
📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 123
जारी रहेगा...........
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