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मुजाहिद ए जंगे आज़ादी हज़रत टीपू सुल्तान रहमतुल्लाह अलैहे का जन्म 20 नवम्बर 1750 ई ० को कर्नाटक में हुआ,आपके पिता सुल्तान हैदर अली अलैहे रहमा अपनी ताकत से 1761 ई० में मैसूर साम्राज्य के शासक बने, अपने पिता की मृत्यु के बाद टीपू सुल्तान 1782 में मैसूर की गद्दी पर बैठे।
टीपू सुल्तान को विज्ञान, चिकित्सा, संगीत, ज्योतिष और इंजीनियरिंग आदि में खास दिलचस्पी थी, लेकिन धर्मशास्त्र और सूफीवाद उनके पसंदीदा विषय थे, उनकी निजी लाइब्रेरी में अरबी, फ़ारसी, तुर्की, उर्दू और हिंदी पांडुलिपियों के 2,000 से अधिक किताबें मौजूद थीं जो संगीत, हदीस, कानून, सूफीवाद, हिंदू धर्म, इतिहास, दर्शन, कविता और गणित से संबंधित थीं।
तृतीय मैसुर युद्ध में अंग्रेज़ मराठा और निज़ाम एक साथ मिलकर मैदान में उतरे जबकि टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ों के सबसे बड़े दुश्मन फ्रांसीसियों को अपने साथ मिला लिया, यह युद्ध 2 साल चला शुरू में अँग्रेज़ विफल रहे परन्तु आगे चलकर अंग्रेज़ों को सफलता हासिल हो गई और टीपू सुल्तान को अंग्रेज़ों से संधि करनी पड़ी, इस संधि में टीपू सुल्तान को अपना आधा राज्य और 30 लाख पाउंड अंग्रेज़ों को देना पड़ा, जबकि चतुर्थ मैसूर युद्ध में अँग्रेज़ और मराठा एक तरफ थे और टीपू सुल्तान और फ़्रांसिसी एक तरफ निज़ाम ने इस युद्ध से दूरी बना ली थी!
इस युद्ध के उपरान्त/मध्य में 4 मई 1799 को टीपू सुल्तान को 48 वर्ष की आयु में कर्नाटक के श्रीरंगपट्टना में अंग्रेजों ने धोखे से शहीद कर दिया। टीपू सुल्तान की शहादत के बाद उनकी तलवार अंग्रेज़ अपने साथ ब्रिटेन ले गए।
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